यादें शेष : सुशांत सिंह राजपूत / ‘छिछोरे’ में सुसाइड की कोशिश करने वाले बेटे को जीने की राह दिखाई, असल जिंदगी में खुद उसे भूल गए

- फिल्म की कहानी एक ऐसे बाप और बेटे की कहानी पर थी, जो नाकाम होने पर जान देने की कोशिश करने वाले अपने बेटे को हौंसला दिखाता है
- सुशांत का डॉयलॉग भी था- कामयाबी के बाद का प्लान तो सबके पास है, लेकिन जिंदगी में नाकाम हो जाएं तो क्या करना है, ये कोई नहीं बताता
मुंबई. सितंबर 2019 में एक फिल्म आई थी, नाम था छिछोरे। फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत लीड रोल में थे। एक ऐसे तलाकशुदा पिता के किरदार में जिसका बेटा इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए तनाव में रहता है। रिजल्ट आने से पहले ही बेटा हार मान लेता है और खुदकुशी की कोशित करता है। तब आईसीयू में भर्ती बेटे को बतौर पिता सुशांत जीन का हौंसला देते हैं। वो बताते हैं कि कॉलेज लाइफ में कैसे वे पीछे थे, लेकिन जीने का हौसला उन्होंने नहीं छोड़ा और बाद में टॉपर बने।
फिल्म ने 150 करोड़ का कारोबार किया था
वही सुशांत सिंह राजपूत असल जिंदगी के अपने किरदार में हार गए। फिल्म छिछोरे का वो रोल शायद उन्हें याद नहीं रहा। फिल्म के एक सीन में अनिरुद्ध के रोल में सुशांत कहते हैं- ‘मैंने बेटे को यह तो बताया कि चुने जाने पर सेलिब्रेट कैसे करना है, मगर यह नहीं बताया कि अगर वह एग्जाम पास नहीं कर पाया, तो क्या करना है।’ इस फिल्म ने 150 करोड़ रुपए से ज्यादा का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया था। इसका खास कोई प्रमोशन नहीं हुआ था, लेकिन बॉक्स ऑफिस कलेक्शन उम्मीद से भी ज्यादा था।
कामयाबी के प्लान सबके पास है
छिछोरे फिल्म की कहानी हॉस्टल लाइफ से निकलकर बरसों बाद नौकरी में फंसे रहने वाले लोगों की लाइफ में भी ट्रैवल करती है। जहां कमाने और सक्सेस पाने की कोशिशों में लोग अपना सबकुछ पीछे छोड़ देते हैं। यहां तक कि उन संबंधों को भी, जो उन्हें जिंदगी देने के साथ कामयाबी की ओर बढ़ने का रास्ता बताते हैं। फिल्म में उनका एक डायलॉग और है, ‘कामयाबी के बाद का प्लान तो सबके पास है, लेकिन जिंदगी में नाकाम हो जाएं तो क्या करना है, ये कोई नहीं बताता’।
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